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बुलंदियों के किस्से जब भी रचे गए, तमाम उचांइयों के बाद भी उस मिट्टी का जिक्र जरूर होता :धन सिंह रावत - उत्तरांचल संचेतना
Tuesday, December 2, 2025
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बुलंदियों के किस्से जब भी रचे गए, तमाम उचांइयों के बाद भी उस मिट्टी का जिक्र जरूर होता :धन सिंह रावत

पौड़ी, । राजकीय प्राथमिक विद्यालय नौगांव। यही उत्तराखंड के शिक्षा मंत्री डा धन सिंह रावत के अपने गांव का स्कूल है। गत दिवस क्षेत्र भ्रमण के दौरान शिक्षा मंत्री पहले इसी स्कूल में गए और फिर शुरू हुई गांव की मिठास, अपनापन, खेत खलियानों की रंगत, बड़े बजुर्गों की ओर से मिलने वाले शुभाषीशांेे का अनमोल और कभी ना खत्म होने वाला सिलसिला। बुलंदियों के किस्से जब भी रचे गए, तमाम उचांइयों के बाद भी उस मिट्टी का जिक्र जरूर होता है जहां वह सोच जन्म लेती है। डा रावत जैसे ही स्कूल में पहुंचे तो गेट के सामने स्कूली यूनीफार्म में खड़े कई छात्र छात्राओं ने बोडा प्रणाम, दाजी प्रणाम के संबोधन से उनका स्वागत किया। वह क्षण बहुत गदगद करने वाले थे। और मंत्री ने भी उन्हें उसी आत्मीय भाव से दुलारा कि अच्छी तालीम के लिए स्कूल पहुंच रही नौगांव न्याणगढ़ की नई पीढ़ी पूरे उत्साह के साथ खिलखिला उठी। फिर मंत्री बोले सब नीचे सड़क में चलो और मेरी गाड़ी में बैठो। यहीं स्कूल के किनारे कुछ उम्रदराज महिलाएं खड़ी हैं, मंत्री ने उन्हें सिर झुकाकर प्रणाम किया तो वह सभी जुगराज रौ मेरा, कहते हुए आशीष देती हैं। उन सभी उम्रदराज महिलाओं को भी गाड़ी में बैठाने के लिए धनदा ने अपने स्टाफ को कहा। स्कूल से कुछ दूर नौगांव गांव के बीच में पंचायत भवन है, वहां स्वास्थ्य शिविर है। बुजुर्ग महिलाओं की स्वास्थ्य संबंधी दिक्कतों के निस्तारण के लिए वहां डाक्टर पहुंचे हैं। स्कूल के उपर एक घर है वहां से एक महिला धनदा को आवाज लगाती है आवा बाबा चा बणौला। यही तो मिठास है अपने गांव के अपनेपन की। वहां सब कुछ पूरी तरह से निश्छल और बिंदास। गांव की मिट्टी ही है जो सफलता के सिरमौरों को विजेता बनने का हौसला देती है। और धनदा भी उसी विनम्रता से ग्रामीणों का अभिवादन स्वीकारते हैं। गांवों में नशाखोरी आज के समय बड़ी चिंता का विषय है। यहां मंत्री ने नशा उन्मूलन के लिए सख्त कदम उठाने की बात कही तो मौजूदा हालातों से निराश मातृशक्ति में आस जगी है कि उनके नेता और नेता से बढ़कर उनके लाडले के इस कदम से गांवों से लेकर शहरों तक कई घर बर्बाद होने से बच जाएंगे।

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