Monday, December 29, 2025
spot_imgspot_img
Homeउत्तराखंडविजय दिवस- 1971 युद्ध के 54 वर्ष पूरे, देहरादून में शहीदों को...

विजय दिवस- 1971 युद्ध के 54 वर्ष पूरे, देहरादून में शहीदों को श्रद्धांजलि, राज्यपाल ने किया नमन

राज्यपाल गुरमीत सिंह बोले—1971 की विजय भारत के सैन्य इतिहास का स्वर्णिम अध्याय

देहरादून। विजय दिवस 2025 के अवसर पर लेफ्टिनेंट जनरल गुरमीत सिंह (से.नि.), उत्तराखंड के राज्यपाल, मेजर जनरल एम.पी.एस. गिल, जनरल ऑफिसर कमांडिंग, उत्तराखंड सब एरिया, मेजर जनरल रोहन आनंद, एडीजी, एनसीसी उत्तराखंड निदेशालय, ग्रुप कैप्टन ऋषभ शर्मा, रियर एडमिरल पीयूष पौसी, जॉइन्ट चीफ हाइड्रोग्राफर, एनएचओ देहरादून और वरिष्ठ सैन्य अधिकारियों ने शहीद सैनिकों को श्रद्धांजलि दी। समारोह में देहरादून स्टेशन के सेवारत अधिकारी, जेसीओ और अन्य रैंक के अधिकारी भी उपस्थित थे, जिन्होंने देश के सम्मान के लिए वीर सैनिकों का अनुकरण करने का संकल्प लिया।

इस अवसर पर राज्यपाल ने उपस्थित सेवारत एवं पूर्व सैनिकों से भेंट कर उनसे संवाद किया तथा राष्ट्र की रक्षा उनके अमूल्य योगदान की सराहना की।

इस अवसर पर राज्यपाल ने 1971 के भारत-पाकिस्तान युद्ध की ऐतिहासिक, रणनीतिक एवं निर्णायक सैन्य विजय को स्मरण करते हुए कहा कि यह युद्ध भारत के सैन्य इतिहास में स्वर्णिम अध्याय है। भारतीय सशस्त्र बलों ने अद्वितीय शौर्य, साहस और कुशल रणनीति का परिचय देते हुए न केवल दुश्मन के 93 हजार सैनिकों को आत्मसमर्पण के लिए विवश किया, बल्कि पाकिस्तान के विभाजन के साथ एक नए राष्ट्र बांग्लादेश के निर्माण का मार्ग भी प्रशस्त किया।

राज्यपाल ने कहा कि हमारे सशस्त्र बलों की उत्कृष्ट रणनीति, कठोर प्रशिक्षण, सटीक योजना, अनुशासन, समर्पण और राष्ट्र के प्रति अटूट प्रतिबद्धता हम सभी के लिए प्रेरणा और मार्गदर्शक है। उन्होंने कहा कि 54 वर्ष पूर्व इस युद्ध में शहीद हुए एवं घायल हुए जवानों के परिवारों की देखभाल करना हम सभी की सामूहिक जिम्मेदारी है। विजय दिवस पर हमें यह संकल्प लेना चाहिए कि हम सदैव उनके परिवारों के सम्मान, सुरक्षा और कल्याण के लिए तत्पर रहेंगे।

उन्होंने कहा कि आज भारत आधुनिकीकरण, तकनीकी नवाचार, भविष्य के युद्ध कौशल और सैन्य क्षमताओं के क्षेत्र में एक व्यापक परिवर्तन के दौर से गुजर रहा है। यह परिवर्तन हमारे सशस्त्र बलों की शक्ति और राष्ट्र की सुरक्षा को और अधिक सुदृढ़ करेगा।

राज्यपाल ने कहा कि विजय दिवस केवल अतीत की विजय को स्मरण करने का दिन नहीं, बल्कि यह आत्ममंथन और संकल्प का अवसर भी है। उन्होंने कहा कि हमें भविष्य की चुनौतियों तथा आंतरिक एवं बाह्य सुरक्षा आवश्यकताओं के प्रति स्वयं को निरंतर सुदृढ़ और सजग बनाए रखना होगा।

1971 के युद्ध में पाकिस्तान पर भारतीय सशस्त्र बलों की ऐतिहासिक जीत को मनाने करने के लिए तथा कर्तव्य की पंक्ति में सर्वोच्च बलिदान देने वाले बहादुर जवानों को श्रद्धांजलि देने के लिए हर साल विजय दिवस मनाया जाता है। दिसंबर 1971 के 16वें दिन, तत्कालीन थल सेना अध्यक्ष जनरल एस एफ एच जे मानेकशों के शक्तिशाली नेतृत्व में भारतीय सशस्त्र बलों ने पाकिस्तानी सेना को करारी शिकस्त दी और बांग्लादेश के रूप में नए देश के गठन के लिए पूर्वी पाकिस्तान की मुक्ति का मार्ग प्रशस्त किया। राष्ट्र अपने सैनिकों के दृढ़ संकल्प और अद्वितीय साहस को प्रणाम करता है जिन्होंने 1971 के युद्ध में इस

अभूतपूर्व जीत को हासिल करने के लिए अपने जीवन का बलिदान दिया।

RELATED ARTICLES

LEAVE A REPLY

Please enter your comment!
Please enter your name here


Most Popular

Recent Comments