Tuesday, December 30, 2025
spot_imgspot_img
Homeउत्तराखंडहिमालय केवल पर्वत नहीं, बल्कि भारत की आध्यात्मिकता का प्रतीक – रिजिजू

हिमालय केवल पर्वत नहीं, बल्कि भारत की आध्यात्मिकता का प्रतीक – रिजिजू

‘स्पर्श हिमालय महोत्सव 2025’ में मुख्य अतिथि के रूप में पधारे केंद्रीय मंत्री किरेन रिजिजू

रिजिजू ने ‘लेखक ग्राम’ पहल की सराहना करते हुए इसे भारत के सांस्कृतिक, साहित्यिक एवं पारिस्थितिक पुनर्जागरण का जीवंत उदाहरण बताया

देहरादून। ‘स्पर्श हिमालय महोत्सव 2025’, जिसका विषय “अंतर्राष्ट्रीय साहित्य, संस्कृति एवं कला महोत्सव” था, देहरादून के लेखक गांव में सोमवार को बड़े उत्साह के साथ मनाया गया। इस अवसर पर भगवान धनवंतरि की प्रतिमा का लोकार्पण भी किया गया। यह महोत्सव उत्तराखंड राज्य के गठन के 25 वर्ष एवं अटल बिहारी वाजपेयी  के ‘लेखक ग्राम’ के स्वप्न के 25 वर्ष को समर्पित था।

केंद्रीय संसदीय कार्य एवं अल्पसंख्यक कार्य मंत्री किरेन रिजिजू मुख्य अतिथि के रूप में उपस्थित रहे, जिनका स्वागत पूर्व मुख्यमंत्री डॉ. रमेश पोखरियाल ‘निशंक’ ने किया। रिजिजू ने ‘लेखक ग्राम’ को रचनात्मकता, ज्ञान और हिमालयी प्रेरणा का केंद्र बनाने के लिए डॉ. निशंक के उल्लेखनीय कार्य की प्रशंसा की।

अपने संबोधन में रिजिजू ने महोत्सव का हिस्सा बनने पर प्रसन्नता व्यक्त की और कहा कि वे स्वयं अरुणाचल प्रदेश से होने के कारण हिमालय से भावनात्मक रूप से जुड़े हुए हैं। उन्होंने कहा कि “हिमालय केवल पर्वत नहीं, बल्कि भारत की शक्ति, आध्यात्मिकता और पहचान के प्रतीक हैं।”

हिमालयी राज्यों की अपनी यात्राओं का उल्लेख करते हुए उन्होंने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नेतृत्व में सीमा क्षेत्रों जैसे गुंजी में सड़क संपर्क एवं अवसंरचना के विस्तार हेतु किए जा रहे कार्यों की सराहना की। उन्होंने कहा, “भारत की सुंदरता इसकी विविधता में निहित है — हम भले अलग भाषाएँ बोलते हों और अलग परंपराएँ निभाते हों, परंतु हमारे मूल्य और दृष्टि हमें एक सूत्र में बांधते हैं।” उन्होंने आगे कहा, “हमारा संविधान लोकतंत्र को दिया गया सबसे सुंदर योगदान है — जो हमारी एकता, करुणा और सामूहिक भावना का जीवंत प्रतीक है।”

कार्यक्रम में डॉ. रमेश पोखरियाल ‘निशंक’ ने केंद्रीय मंत्री का स्वागत किया और महोत्सव को उत्तराखंड के 25 वर्ष एवं अटल बिहारी वाजपेयी जी के ‘ग्राम भारत’ के स्वप्न को समर्पित किया। उन्होंने कहा कि ‘लेखक ग्राम’ पहल का उद्देश्य गाँवों को रचनात्मकता, संस्कृति और शिक्षा के केंद्रों में विकसित करना है।

आचार्य बालकृष्ण, मुख्य कार्यकारी अधिकारी, पतंजलि ने भारत की प्राचीन ज्ञान परंपराओं, आयुर्वेद और हिमालयी पारिस्थितिकी के संरक्षण में पतंजलि के योगदान का उल्लेख करते हुए रिजिजू का हार्दिक स्वागत किया।

प्रो. अनिल सहस्रबुद्धे ने ‘लेखक ग्राम’ की अवधारणा की प्रशंसा करते हुए कहा कि यह राष्ट्रीय शिक्षा नीति (एनईपी) की उस भावना का उत्कृष्ट उदाहरण है, जो पारंपरिक ज्ञान को आधुनिक शिक्षा से जोड़ती है।

इस अवसर पर प्रो. सोमवीर (इंडोनेशिया) ने अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर लोकतांत्रिक और संसदीय संवाद को प्रोत्साहित करने में रिजिजू की भूमिका की सराहना की तथा भारत के ‘स्वच्छता अभियान’ की भी प्रशंसा की।

पद्मश्री डॉ. बी.के. संजय (एम्स गुवाहाटी) ने हिमालयी परंपराओं के समग्र स्वास्थ्य संवर्धन में महत्व को रेखांकित किया। स्वामी अवधेशानंद गिरि महाराज ने उपस्थित जनसमूह को आशीर्वाद दिया और जीवन में अध्यात्म, सेवा एवं नैतिक अनुशासन के महत्व पर बल दिया। प्रो. पृथ्वीराज, उपाध्यक्ष, ने डॉ. निशंक के हिमालयी एवं सांस्कृतिक विकास में योगदान की प्रशंसा की और उन्हें सम्मान स्वरूप स्मृति चिन्ह भेंट किया।

अंत में धन्यवाद ज्ञापन देते हुए डॉ. रमेश पोखरियाल ‘निशंक’ ने किरेन रिजिजू का आभार व्यक्त किया और कहा कि उनके प्रेरणादायी शब्दों ने हिमालय और जनमानस के बीच के गहरे संबंध को पुनः जीवंत कर दिया।

RELATED ARTICLES

LEAVE A REPLY

Please enter your comment!
Please enter your name here


Most Popular

Recent Comments