देहरादून, । युवाओं में भारतीय ज्ञान परम्परा की गहरी समझ विकसित करने के दृष्टिगत दून विश्वविद्यालय में शीघ्र ही ‘हिन्दू अध्ययन केन्द्र’ स्थापित किया जायेगा। इस केन्द्र में भारतीय दर्शन, इतिहास, साहित्य, समाजशास्त्र, कला, वास्तुकला सहित विभिन्न विषयों पर अध्ययन, शोध और प्रशिक्षण की बहुविषयक व्यवस्था विकसित की जायेगी। बीएचयू के बाद दून विश्वविद्यालय भारतीय दर्शन और वेद-पुराण अध्ययन का दूसरा प्रमुख केन्द्र बनेगा।
उच्च शिक्षा मंत्री डॉ. धन सिंह रावत ने आज सचिवालय स्थित डीएमएमसी सभागार में दून विश्वविद्यालय की समीक्षा बैठक ली। जिसमें उन्होंने विश्वविद्यालय की कुलपति को एनईपी-2020 के अनुरूप ‘हिन्दू अध्ययन केन्द्र’ स्थापना को सभी आवश्यक औपचारिकताएं शीघ्र पूर्ण करने के निर्देश दिये। डॉ. रावत ने कहा कि हिन्दू अध्ययन केन्द्र भारतीय आध्यात्मिक एवं दार्शनिक परम्पराओं को संरक्षित करने, विश्लेषण करने व प्रसारित करने के लिये एक महत्वपूर्ण मंच बनेगा। डॉ. रावत ने कहा कि अध्ययन केन्द्र में हिन्दू परम्पराओं, ग्रंथों और दर्शन की समझ को प्रोत्साहित किया जायेगा और शिक्षण व अनुसंधान हेतु भारतीय अनुसंधान पद्धति को बढ़ावा दिया जायेगा। इसके अलावा भारतीय ज्ञान परम्परा में निहित बहुविषयक शिक्षा प्रदान कर शिक्षार्थियों में नैतिकता, विश्लेषणात्मक दृष्टि और सांस्कृतिक समझ भी विकसित की जायेगी। इसके लिये विश्वविद्यालय में चार वर्षीय स्नातक पाठ्यक्रम संचालित किया जायेगा, जिसमें छात्र-छात्राओं को तत्त्व विमर्श, धर्म एवं कर्म विमर्श, वाद-परंपरा, रामायण, महाभारत व नेतृत्व एवं संगठनात्मक व्यवहार जैसे विषय पढ़ाये जायेंगे जबकि परास्नातक स्तर पर हिंदू दर्शन, समाज, साहित्य, धर्म और नेतृत्व क्षमता आदि विषयों का गहन अध्ययन कराया जायेगा।